Ganesh Chaturthi 2025: प्रतिमा चुनते वक्त ध्यान रखें ये बातें, तभी मिलेगा विघ्नहर्ता का आशीर्वाद ||
- Astro Nakshatra27
- Aug 25
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पूजा से पूर्व घर की संपूर्ण सफाई और सजावट, मुख्य द्वार पर बंदनवार और मंदिर में स्वस्तिक बनाना आवश्यक माना गया है। गणेश प्रतिमा हमेशा बैठी हुई, बाईं सूंड वाली और रिद्धि-सिद्धि व वाहन चूहे के साथ होनी चाहिए।

प्रतिमा खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?
विस्तार
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भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जन्मोत्सव मनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। ज्योतिषाचार्य डॉ. पंडित गणेश शर्मा के अनुसार भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल, सोमवार, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। इसलिए यह दिन गणपति की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस बार यह पर्व बुधवार को पड़ रहा है, जो स्वयं ही शुभ ग्रह बुद्ध का दिन है।
गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि व मुहूर्त
📅 तिथि : 27 अगस्त 2025, बुधवार
⏰ मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - 11:05 पूर्वाह्न से 01:39 अपराह्न
अवधि - 02 घंटे 34 मिनट
घर में मंगल प्रवेश की तैयारी
गणपति आगमन से पहले घर की संपूर्ण सफाई और सजावट करना आवश्यक है। मुख्य द्वार और मंदिर को फूलों व बंदनवार से सजाएं। स्थापना स्थल पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और हल्दी से चार बिंदियां अंकित करें। फिर चौकी पर पीला या लाल वस्त्र बिछाकर उस पर अक्षत रख दें। यह स्थान पहले से तैयार करने पर स्थापना का प्रभाव और भी अधिक मंगलकारी होता है।

मूर्ति चयन में ध्यान रखने योग्य बातें
गणपति की प्रतिमा हमेशा बैठी हुई लेनी चाहिए। प्रतिमा के साथ वाहन चूहा, रिद्धि-सिद्धि और लड्डू का थाल होना शुभ माना जाता है। मूर्ति सफेद या सिंदूरी रंग की हो तथा सूंड बाईं ओर हो। प्रतिमा खरीदते समय मोलभाव न करें, बल्कि इसे सम्मानपूर्वक दक्षिणा देकर घर लाएं। द्वार पर आरती उतारने के बाद मंगल गीत गाते हुए प्रतिमा को घर के भीतर स्थापित करें।

स्थापना और पूजन की विधि
स्थापना के बाद गणपति का पूजन, आरती और मंत्रोच्चार श्रद्धापूर्वक करें। पूजन में धूप, दीप, नैवेद्य और फूल अर्पित करें। परिवार के सभी सदस्य मिलकर गणपति बप्पा का स्वागत करें और उनके जयकारे लगाएं। मान्यता है कि इस विधि से किए गए मंगल प्रवेश और पूजन से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और घर में सदैव समृद्धि बनी रहती है।

“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”




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