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Ganesh Chaturthi 2025: गणेशोत्सव के 10 दिनों का महत्व और विशेष भोग

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🌸 गणेश उत्सव 2025 : दस दिनों का महत्व और भोग



🪔 पहला दिन – गणेश चतुर्थी (स्थापना दिवस)

  • महत्व: गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापना कर विधिवत पूजन किया जाता है। यह दिन "आवाहन" का दिन माना जाता है।

  • भोग: मोदक (गणेशजी का प्रिय), गुड़ और चावल से बने लड्डू।

🌸 दूसरा दिन – ऋषि पंचमी

  • महत्व: गणेशजी को पवित्रता और ऋषियों का आशीर्वाद दिलाने का दिन।

  • भोग: दूर्वा घास, तिल के लड्डू, नारियल।

🌸 तीसरा दिन – षष्ठी

  • महत्व: गणपति की कृपा से परिवार में सुख-शांति और आयु की वृद्धि होती है।

  • भोग: पूरण पोली (गुड़ और चने की दाल से बनी), नारियल मिठाई।

🌸 चौथा दिन – सप्तमी

  • महत्व: यह दिन धन-धान्य और समृद्धि का प्रतीक है।

  • भोग: बेसन लड्डू, फलाहार, दही-चावल।

🌸 पाँचवाँ दिन – दुर्गाष्टमी / ललिता सप्तमी

  • महत्व: इस दिन गणेशजी को शक्ति का स्वरूप मानकर माता दुर्गा की भी आराधना होती है।

  • भोग: हलवा-पूरी, नारियल पानी और मिठाई।

🌸 छठा दिन – अनंत चतुर्दशी पूर्व दिवस

  • महत्व: यह दिन संतान सुख और परिवार की उन्नति के लिए शुभ है।

  • भोग: खीर, फल, गन्ने का रस।

🌸 सातवाँ दिन – सप्तमी/दुर्गा पूजन

  • महत्व: घर और जीवन से नकारात्मकता दूर होती है।

  • भोग: नारियल बर्फी, ताजे फल।

🌸 आठवाँ दिन – अष्टमी

  • महत्व: यह दिन स्वास्थ्य और बल देने वाला माना जाता है।

  • भोग: लड्डू, दही-चावल, गुड़ से बने पकवान।

🌸 नवाँ दिन – नवमी

  • महत्व: यह दिन सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष होता है।

  • भोग: श्रीखंड, केसर वाला दूध, चूरमा।

🌸 दसवाँ दिन – अनंत चतुर्दशी (विसर्जन)

  • महत्व: यह दिन गणेश बप्पा को विदाई देने का होता है। "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" कहकर विसर्जन किया जाता है।

  • भोग: मोदक, नारियल, पान-गुलकंद, पंचामृत।


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विशेष ध्यान देने योग्य बातें

  • हर दिन गणेशजी को दूर्वा (तीन पत्तियों वाली घास), लाल फूल और सिंदूर जरूर अर्पित करें।

  • गणपति का प्रिय मोदक और गुड़ यथासंभव रोज भोग में शामिल करना चाहिए।

  • परिवार के सदस्य मिलकर आरती, भजन और प्रसाद वितरण करें।

 
 
 

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