शास्त्रों में लक्ष्मी को चपला कहा गया है अर्थात धन की देवी कहीं टिकती नहीं है। पौराणिक व तंत्र शास्त्रों में धन की देवी की स्थिर रखने के लिए अनेक यत्न, प्रयास व अनुष्ठान बताए गए हैं। परंतु यह अनुष्ठान व प्रयास अत्यंत कठिन व ख़र्चीले हैं जिसे आज के व्यस्त समय में आम व्यक्ति के लिए करना लगभग असंभव जैसा है परंतु पौराणिक व तंत्र शास्त्रों में धन की देवी को अपने घर व प्रतिष्ठान में स्थिर रखने के लिए कुछ सरल उपाय व सामाग्री भी बताई गई है।
इस पोस्ट के द्वारा आचार्य मुकेश आपको बताते हैं की कैसे इस दुर्लभ सामाग्री को हम किस्मत की पोटली बनाकर धन की देवी लक्ष्मी को अपने घर व प्रतिष्ठान में कैसे बांधकर स्थिर कर सकते हैं। इस किस्मत की पोटली को चमत्कारिक वस्तुओं को एक साथ सम्मिलित कर निर्मित किया जा सकता है जो देवी महालक्ष्मी को अत्यधिक प्रिय हैं। भारतीय धर्मग्रंथों में ऐसा उल्लिखित है कि यदि देवी महालक्ष्मी का पूजन इन सामग्रियों के साथ तथा इनका उपयोग कर शास्त्र-सम्मत विधि से किया जाय तो सभी अभीष्ट अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।
महालक्ष्मी की पोटली कैसे बनायें ?
इस पोटली को आपको दीपावली के दिन वृषभ लग्न के दौरान प्रदोष काल में ही बनाना है ! श्री गणेश और महालक्ष्मी के आह्वाहन के बाद षोड़ोपचार पूजन के बाद आपको एक लाल कपडे को लेना है अथवा कोई पोटली बाजार पहले से ही खरीद लें ! लक्ष्मी जी को विशेष प्रिय है रेशमी लाल वस्त्र जिसमें सारी सामाग्री बांधकर यह अद्भुत पोटली बनाई जाती है। पोटली के सामने एक पान का पत्ता रख लें !
पहले पत्ते पर ३ बार गंगा जल छिड़कें ! फिर थोड़ी रक्त-चन्दन अर्पित करें ! तत्पश्चात सबसे पहले एक चाँदी का सिक्का लें और उसे मौली से बांध लें ! फिर क्रमशः 2 सुपारी , 2 पीली हल्दी की गांठ , 2 काली हरिद्रा यानि हल्दी , 11 गोमती -चक्र , 7 पीली कौड़ी , 5 सफ़ेद कौड़ी, 5 नागकेशर 5 कमलगट्टे, 5 काली - कौड़ी तथा 21 अक्षत के दाने ( टूटी हुई वर्जित है ) को एक साथ रख लें ! फिर कमलगट्टे की माला से १ माला इस मंत्र का जाप करें :- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
मंत्र जाप पश्चात इस पोटली को बांध लें तथा मस्तक से लगा माता लक्ष्मी के चरणों में अर्पित कर दें ! इस पोटली को शुभ महूर्त में घर की पूजा स्थल अथवा उत्तरपूर्व दिशा अथवा लक्ष्मी की दिशा उत्तर पश्चिम में रखना अति शुभफलदायक होता है। इसके घर में विशेष महूर्त में स्थापना से अकूट लक्ष्मी का वास होता है। वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है तथा धन की देवी सदा स्थिर रहती है। शरद पूर्णिमा, अक्षय तृतीया, दीपावली या कार्तिक पूर्णिमा को घर अथवा प्रतिष्ठान में इस पोटली को रखने से चिरकाल धन की प्राप्ति होती है, दुर्भाग्य दूर होता है तथा घर में धन, अन्न, स्वर्ण व आभूषण की वृद्धि होती है !
फिर इसे आरती और हवन इत्यादि के बाद अपनी तिज़ोरी या गल्ले जहाँ भी रखना चाहें रख लें ! कुछ ही दिनों में आप लक्ष्मी की स्थिरता का अनुभव करने लगेंगे इसमें कोई संदेह नहीं !
पोटली बनाने का समय : 31/10/2024 ( स्थिर वृषभ लग्न ) : शाम 18:23 से 20:18
01/11/2024: 18:19 से 20.14
पोटली - सामग्री:-
1. पीली कौड़ी
इस किस्मत की पोटली में पहला स्थान है प्राकृतिक पीली कौड़ी का इसे लक्ष्मी कौड़ी अथवा कुबेर कौड़ी भी कहा जाता है।
2.काली-कौड़ी
कौड़ी जो पुराने ज़माने में लोग इसका धन के स्वरुप इस्तेमाल करते थे । काली-कौड़ी माँ लक्ष्मी का स्वरूप मानी गया हैं ... यह अति दुर्लभ है।
3. गोमती-चक्र
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा पत्थर है जो गोमती नदी मे मिलता है। विभिन्न तांत्रिक कार्यो तथा असाध्य रोगों में इसका प्रयोग होता है। इसे लक्ष्मी माता की स्थिरता हेतु प्रयोग किया जाता है ! ये माता को अत्यंत प्रिय है !
4.काली-हरिद्रा (हल्दी)
पोटली में इसका विशेष महत्व है ! रवि-पुष्य या गुरु-पुष्य के शुभ संयोग में काली को हल्दी को प्राप्त कर इसकी षोडषोपचार पूजा करने के उपरांत इसे विधिवत् सिद्ध कर लाल रेशमी वस्त्र में चांदी या स्वर्ण मुद्रा के साथ लपेटकर अपनी तिजोरी में रखने से अपार धन वृद्धि होती है।
माता को प्रिय अन्य शुभ सामग्रियां :-
5.पीली-हल्दी
6.सुपारी
7.कमलगट्टे
8.नाग-केशर
9.चाँदी का सिक्का
10.सफेद-कौड़ी
11. पीले-अक्षत( हल्दी से अक्षत को रंग लें )
12.पान का पत्ता
ASTRO NAKSHATRA 27
ACHARYA DR. MUKESH
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