top of page
Search
Writer's pictureAstro Nakshatra27

निर्जला एकादशी 2021: June महीने के इस तारीख को रखा जायेगा निर्जला एकादशी का व्रत।

जानें निर्जला एकादशी व्रत का महत्व, व्रत रखने की विधि और मुहूर्त

कहा जाता है कि मनुष्य को अपने जीवन में निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए, इस उत्तम व्रत से मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है। हर महीने में दो बार एकादशी आती है और इस तरह साल में 24 बार एकादशी का व्रत होता है। इनमें से कुछ एकादशी का विशेष महत्व होता है, और उन्हीं महत्वपूर्ण एकादशी में से एक है निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi)। जो हर साल के ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में आती है।

इस बार निर्जला एकादशी 21 जून को है.


निर्जला एकादशी का पौराणिक महत्व


जब सर्वज्ञ वेदव्यास ने पांडवों को चारों पुरुषार्थ - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया गया तो महाबली भीम ने निवेदन किया - हे पितामह! आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता। मेरे पेट में 'वृक' नाम की जो अग्नि है, उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्यव्रत से वंचित रह जाऊँगा?

पितामह ने भीम की समस्या का निदान करते हुए और उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा - नहीं कुंतीनंदन, धर्म की यही तो विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता, सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की बड़ी सहज और लचीली व्यवस्था भी उपलब्ध करवाता है। अतः आप ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और इससे तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होगा। निःसंदेह तुम इस लोक में सुख, यश और प्राप्तव्य प्राप्त कर मोक्ष लाभ प्राप्त करोगे।


इतने आश्वासन पर भीम इस एकादशी व्रत को विधिवत करने के लिए सहमत हो गए। इसलिए वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को लोक में पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।


व्रत रखने की विधि


इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें तथा भगवान विष्णु का ध्यान करें और पूजा करें। पूजा के पश्चात भी दिन में भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें और उनका नाम जपें। पूरा दिन निर्जल व्रत करें और अगले दिन सुबह नहा धोकर पहले श्री हरि को भोग लगाए, ब्राह्मण को दान दें और फिर व्रत का पारण करें।

निर्जला एकादशी का व्रत अगर सच्चे मन से किया जाए तो जीवन के तमाम कष्टों को श्री हरि हर लेते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है.


निर्जला एकादशी का मुहूर्त


एकादशी तिथि 20 जून को शाम 04:21 बजे से शुरू हो जाएगी जिसका समापन 21 जून दोपहर 01:31 बजे होगा। इसलिए ये व्रत 21 जून को ही किया जाएगा। व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 22 जून को होगा।



7 views0 comments

Commentaires


bottom of page