काल भैरव का अर्थ है जो काल को जीत चुके हैं। मृत्यु के भय से मुक्ति, संकट से रक्षा, विपत्तियों को हरने वाले भगवान शिव के इस रूप की पूजा प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को “काल भैरव अष्टमी” के नाम से मनाई जाती है। इस दिन काल भैरव के वाहन कुत्ते को प्रसन्न रखने से आप उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं।
जहाँ भी भैरव जी का मंदिर होता है, उसके साथ ही उनके वाहन की भी मूर्ति स्थापित होती है। उनके मंदिर के आसपास अक्सर कुत्ते भी घूमते हुए पाए जाते है। भैरव बाबा के ये बेजुबान सेवक हमारे संदेशवाहक का काम करते है। सेवक की बात स्वामी कभी नहीं टालते इसलिए अपनी सिफारिश लगवाने के भाव से, काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए कुत्तों की सेवा अवश्य करें।
ऐसी भी मान्यता है की किसी भी संकट का अनुभव कुत्तों को पहले से हो जाता है। अगर घर में कुत्ता पाले तो घर में नेगेटिव एनर्जी प्रवेश नहीं होती है। जिन घरों में कुत्तों की सेवा होती है, वह घर खुशहाल होता है और धन की भी कमी नहीं होती है। तो काल भैरव के इस वफादार, एवं प्रिय सेवक को आज के दिन विशेष प्रकार के भोग लगाने व विधियों से पूजन करके अमीर और खुशहाल बन सकते है।
आज के दिन कुत्ते को सरसों के तेल का टीका लगाने से कोर्ट-कचहरी में जीत हासिल होती है।
प्रेम सम्बन्ध में नजदीकियां बढ़ाने के लिए कुत्तों को अपने साथी के नाम की बेसन से बनी रोटी डालें।
आर्थिक मामले नहीं सुलझ रहे हो, घर में अधिक धन खर्च हो रहा हो, आमदनी कम हो रही हो तो दो रंग वाले कुत्ते को तंदूर में बनी मीठी रोटी डालें।
कुत्ते को पनीर डालने से पैसों पर लगा ग्रहण टल जाता है अर्थात पैसे आने का फ्लो ठीक हो जाता है।
लावारिस या जख्मी कुत्तों को भोजन कराने से घर परिवार में अचानक आपदाएं नहीं आती है और व्यापार में भी वृद्धि होती है। आप दिन-प्रतिदिन अमीर बनते जायेंगे।
संतान संबंधी दिक्कत या कैरियर में सफलता प्राप्त करने के लिए कुत्ते के बच्चे को पालें और उसकी खूब सेवा करें।
शाम के समय काल भैरव मंदिर में बैठकर उनके बीज मंत्र का जाप करें -
” ऊं ह्रीं बटुकाय आपद्उद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ऊं “
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